Exclusive Interview: ANKITA JAIN | Bombay Weekly™

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Dr. Nitya Prakash spoke to bestselling writer Ankita Jain about her passion for literature and her plans for the future.

Tell us a little bit about yourself.

मैं एक पार्ट टाइम लेखक और फुल टाइम गृहणी, एक माँ हूँ. सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसे छोटे से जिले जशपुर में रहती हूँ. वैदिक वाटिका जोकि हमारा आर्गेनिक खेती एवं मेनुफेक्चारिंग कंपनी है, की डायरेक्टर हूँ.अपने दो साल के बेटे के साथ लेखन और जीवन दोनों का आनंद ले रही हूँ.

When did you start writing and what do you think attracted you to poetry & writing?

बचपन में डायरी लिखती थी. फिर नौवीं कक्षा के बाद वह बंद हो गया. 2010 में जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसने कुछ बड़े बदलाव किए. लिखना उन्हीं में से एक है. पहले थोड़ा बहुत फेसबुक पर लिखती थी. फिर लोगों ने पसंद किया तो ऑनलाइन मैगज़ीन आदि में लिखने लगी. उसके बाद 2012 में एक डायरेक्टर ने लिरिक्स लिखने का ऑफर दिया. वह लिखे, हालाँकि फिल्म आज तक रिलीज़ नहीं हुई लेकिन उसका एक गीत भारत का सबसे बड़ा फ़्लैश मोब बनकर हिट गया. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय कहानी लेखन में जीती तो कहानियाँ लिखना शुरू कीं. फिर ऍफ़ एम् के दो प्रसिद्द शो में लिखने का मौका मिला जहाँ लगभग 25 कहानियाँ लिखीं. उसके बाद किताब ‘ऐसी वैसी औरत’ हिन्द युग्म प्रकाशन से प्रकाशित हो गई जो बेस्ट सेलर रही. प्रभातखबर, लल्लनटॉप के लिए कॉलम लिखे. अहा ज़िन्दगी आदि में लेख-कहानियाँ प्रकाशित होते हैं. दूसरी किताब ‘मैं से माँ तक’ राजपाल एंड संस से प्रकाशित हुई, जो पाठकों के बीच बहुत पसंद की जा रही है.

What motivated you to go on to focus on a career in writing?

भीतर एक बेचैनी रहती है अगर नहीं लिखती हूँ तो. लिखकर थोड़ा सुकून मिलता है.

How do you think you’ve evolved as a writer over the years?

जैसे-जैसे लोगों ने पढ़ा मुझे और मैंने पुराने लेखकों को तो अपने लेखन की खामियों का पता चलता गया. कुछ सीनियर्स ने भी अहम् भूमिका निभाई. मेरी कमियां बताईं और मैंने उसमे सुधार किए. ये सुधार आगे भी चलते रहेंगे. अब भी कमियां जिन पर काम करना है.

One area I struggle with in my writing is editing my work. Could you tell me a bit about your own editing/rewriting process and do you have any advice?

मैं पहला ड्राफ्ट लिखने के बाद छोड़ देती हूँ. फिर कुछ दिन बाद उस पर दोबारा काम करती हूँ. इस प्रक्रिया में मुझे बेहतर समझ आता है कि कहाँ क्या कमी रह गई. इसके अलावा मैं प्रकाशित होने से पहले कुछ लोगों को पढने के लिए भी देती हूँ, उनसे आलोचना करने के लिए कहती हूँ ताकि फाइनल ड्राफ्ट बेहतर बन सके.

A lot of your work strikes me as being really good love poetry. What role, if any, does love play in your writing?

प्रेम मेरे लिए एक ऐसा विषय है जो जब तक भीतर जीवंत न हो उस पर एक शब्द भी लिख पाना मेरे लिए बहुत कठिन है. कल्पना के आधार पर शायद मैं प्रेम न लिख पाऊं. जो ली लेती हूँ वही लिख देती हूँ.

What’s the best experience you’ve gained through your writing?

लल्लनटॉप, और प्रभातखबर में जब कॉलम आ रहा था तो कई लोगों के मेल्स आए. मैं अपने माँ बनने के अनुभव लिख रही थी जो लगता था कई सारी माओं के हैं. उसी पर आधारित किताब भी जब लोग पढ़ते हैं तो हर चीज़ ख़ुद से जोड़ लेते हैं. लगता है मैं उन सभी की ऑनलाइन सहेली बन गई हूँ.

Which writers or books most inspire you? Whose work would you recommend with regard to contemporary writing? What are you reading at the moment?

यशपाल, राही मासूम रज़ा, मंटो, राहुल संकृत्यायन, अलबर्ट केम्यु, हजारी प्रसाद द्विवेदी… नाम तो बहुत हैं लेकिन इनका पढ़ा भीतर तक गया. आजकल प्रवीण झा की कुली लाइन्स पढ़ रही हूँ.

Do you have a particular process or place where you like to write, and does a story start life in paper, notes, or straight to the computer?

जब दिमाग में कुछ नया आता जिसे लिखने की इच्छा हो तो वह कुछ दिनों तक दिमाग में ही पकता है. जब वह पूरी तरह दिमाग में पक जाता है उसके बाद मैं उसे लिखने के बारे में सोचती हूँ. पहले पेन-पेपर से लिखती हूँ और फिर टाइप करती हूँ.

How do you respond to writer’s block or not knowing what to write?

कभी-कभी बहुत उदासीनता होती है लेकिन मैं जल्दी ही उबर आती हूँ. ज़िन्दगी में जिम्मेदारियां इतनी हैं कि मेरा राइटर्स ब्लाक कब आता है कब जाता है पता नहीं लगता अब. जब लिखने का मन नहीं होता तो पढने या देखने में समय बिताती हूँ.

Can you tell us something about your current and future projects, if any?

मेरी दो किताबें पाइपलाइन में हैं. एक कहानी-संग्रह जोकि राजपाल एंड संस के साथ आना है, और दूसरी नोनफिक्शन जोकि वाणी प्रकाशन ने साथ आना है.

Your message for the readers of Bombay Weekly

खूब पढो, दुनिया में इतना कुछ है पढ़ने के लिए. किताबें हमें सुन्दर बनाती हैं, हमारी आत्मा को सुन्दर बनाती हैं.

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